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आई आई टी कानपुर में बसंत काव्योत्सव 2022 का आयोजन
Kanpur
Source: Information and Media Outreach Cell, IIT Kanpur
आई आई टी कानपुर के आउटरीच आडिटोरियम में राजभाषा प्रकोष्ठ, विद्यार्थी हिन्दी साहित्य सभा एवं शिवानी केंद्र के तत्वाधान में बसंत काव्योत्सव का आयोजन बड़े धूम-धाम से किया गया ।
श्रोताओं से खचाखच भरे सभागार में संस्थान के कवि मनीषियों यथा- संकाय-सदस्यों, विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों ने स्व-रचित छंदों, कविताओं, फाग, ग़ज़ल को प्रस्तुत करके श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ आयोजन के मुख्य अतिथि एवं संस्थान के कुलसचिव श्री कृष्ण कुमार तिवारी जी तथा राजभाषा प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रोफेसर अर्क वर्मा जी के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से किया गया तत्पश्चात, प्रोफेसर अर्क वर्मा तथा डॉ वेदप्रकाश सिंह ने सभी कवियों/कवियत्रियों का स्वागत किया ।
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काव्य पाठ का शुभारम्भ श्रीमती ज्योति कुबेर ने अपनी कविता ‘मन’ से किया जो उम्र के हर पड़ाव में मानसिक बदलाव की व्याख्या करती हुई एक सुंदर रचना थी उसके बाद प्रोफेसर श्री संतोष मिश्र द्वारा बसंत ऋतु में स्वतः प्रसूत प्रेम-भाव का उदात्त चित्रण बहुत ही लुभावना रहा। प्रोफेसर समीर खांडेकर जी ने समाज में फैले अमीर और गरीब के जीवन के कुछ मर्मों को बहुत खूबसूरती से उकेरा साथ ही ‘बीबी को बेसन पसंद है’ व्यंग्य के माध्यम से बेसन से बनने वाले लगभग 60 तरह के व्यंजनो के वर्णन से लोगो को गुदगुदाया, प्रोफेसर भारत लोहानी जी ने हास्य-परिहार से प्रारम्भ करके ओज से परिपूर्ण रचना ‘हिंदुस्तान जाग रहा है’ के पाठ से नवयुवकों ओर श्रोताओं में जोश भर दिया। संस्थान के कर्मचारी श्री राजेश श्रीवास्तव जी और श्री अनिल पांडे जी की हास्य रचनाओं और प्रस्तुतियों नें जहाँ श्रोताओं को ठहाके लगाने पर बाध्य किया तो वहीं श्रीमति शिप्रा सिंह नें अपनी कविताओं एवं फाग से श्रोताओं को गाँव से जोड़ा। विद्यार्थियों में मनीष चंद्र यादव की ग़ज़ल ने धूम मचा दी तो वहीं रूपम जैन के व्यंग्य, यश श्रीवास्तव की सूक्ष्म सम्वेदना को छूती हुई कविता,आकाश मिश्र की समाज को सीख देती रचना “सीता” व सुश्री ज्योति यादव की शायरी और कृष्ण-प्रेम में रची-पगी रचनाओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बीच बीच में डॉ वी पी सिंह ने अपने क्षेपकों से श्रोताओं का खूब हंसाया।
सुश्री अल्पना दीक्षित एवं पंकज ने संयुक्त रूप से शेरो-शायरी तथा कविताओं के रसात्मक प्रयोग से अत्यंत मोहक अंदाज़ में मंच संचालन किया और अंत में अपनी बेबाक़ टिप्पणियों के साथ जगदीश प्रसाद जी ने सभी का धन्यवाद किया ।