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एनसीसी आईआईटी कानपुर परिसर में एक बख्तरबंद कार्मिक वाहक का उद्घाटन
कानपुर
आईआईटी कानपुर में प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए प्रेरक व्याख्यान की श्रृंखला में, इस बार अतिथि वक्ता थे, श्रीमती अनीता देवी और चौधरी अचल सिंह, स्वर्गीय मेजर सतीश दहिया शौर्य चक्र (मरणोपरांत) के माता-पिता, जिन्होंने 14 फरवरी 2017 को राष्ट्र के लिए अपना बलिदान दिया। मेजर सतीश अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे।
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आईआईटी कानपुर में एनसीसी के ऑफिसर-इन्चार्ज कर्नल अशोक मोर ने अतिथि वक्ता श्रीमती अनीता देवी और चौधरी अचल सिंह का परिचय दिया और स्वर्गीय मेजर सतीश दहिया शौर्य चक्र (मरणोपरांत) के बारे में छात्रों को परिचय दिया।
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स्वर्गीय मेजर सतीश दहिया के अभिमानी माता-पिता ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि, मेरे प्यारे बच्चों, जीवन वैसा ही है जैसा आप इसे लेते हैं और जैसा आप इसे बनाते हैं। मेजर सतीश हमेशा से सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना चाहते थे। हम हरियाणा के एक सुदूर गाँव से हैं, गाँव के अधिकतर लोग उनसे और हमसे पूछते हैं कि इकलौता बच्चा होने के नाते क्या आप उन्हें सेना में भेजेंगे। इससे पहले कि हम जवाब दें, सतीश उन्हें जवाब दे देते थे कि, अगर सभी इसी तरह से सोचने लगेंगे तो कोई भी अपने बच्चों को सेना में नहीं भेजेगा और देश की रक्षा कौन करेगा। मेजर सतीश हमारे गांव के एक अधिकारी के रूप में रक्षा बलों में शामिल होने वाले पहले व्यक्ति थे। बाद में उन्होंने दूसरों को भी इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित और निर्देशित किया। मेजर सतीश बेहद ईमानदार थे और बचपन में उन्होंने अपनी नोटबुक में लिखा था कि "मैं अपने जीवन में हमेशा सच बोलूंगा"। उनकी स्मृति के अंश के रूप में हमने आज भी उस नोटबुक को अपने पास सुरक्षित रखा है।
श्रीमती अनीता देवी ने कहा कि मेजर सतीश को बचपन से ही सिखाया गया था कि पहले देश आता है, फिर माता-पिता और बाकी सब तीसरी प्राथमिकता में। मेजर सतीश एक बहादुर लड़का था और उसने भी अपने जीवन में यही साबित किया, घायल होने के बाद भी उसने एक और आतंकवादी को मार गिराया जो उन पर हमला करने की कोशिश कर रहा था। हमने अपना इकलौता बेटा खो दिया, कोई उसकी जगह नहीं ले सकता लेकिन आज हमारे पास भारतीय सेना के हजारों सैनिक हैं जो हमारे अपने से कम नहीं हैं। जब भी हम किसी सैनिक को टीवी या बस या गांव में देखते हैं तो हम उनसे हमेशा जुड़ाव महसूस करते हैं।
आप सभी से हमारा निवेदन है कि अपने देश और माता-पिता को अपने जीवन में गौरवान्वित करें। अपने जीवन में लक्ष्य पर स्पष्ट ध्यान देकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करें। जब भी संभव हो अपने माता-पिता के साथ समय गुजरने की कोशिश करें। वे हमेशा आपको याद करते हैं।
मेजर सतीश की याद में हमने अपने गांव में बच्चों को प्रेरित करने के लिए एक स्मारक बनाया है। हम 14 फरवरी को उनके "शहीद दिवस" पर अपने गांव में एक वार्षिक खेल टूर्नामेंट आयोजित करते हैं। हर दिन, हम उस स्मारक पर जाते हैं और महसूस करते हैं कि वह अभी भी वहां है और हमारे साथ है। माता-पिता के रूप में हमें उनके बलिदान पर गर्व है।
श्रीमती अनीता देवी और चौधरी अचल सिंह जो कि, पिछले तीन वर्षों में अपने गांव के बाहर अपनी पहली यात्रा पर थे। उनको सम्मानित करने और आई आई टी कानपुर के छात्रों और परिसर समुदाय के लिए एनसीसी एक्सपोजर के एक हिस्से के रूप में आईआईटी कानपुर परिसर में रखे गए एक बख्तरबंद कार्मिक वाहक का उद्घाटन करने के लिए के लिए संस्थान के उप निदेशक प्रोफेसर एस० गणेश उपस्थित थे ।